Working Women और Family Guilt, आख़िर कौन है जिम्मेदार?

working women responsibilities

क्या काम करने वाली महिलाओं को सच में ‘गिल्टी’ महसूस करना चाहिए?

आज के समय में लाखों महिलाएँ घर के साथ-साथ बाहर भी काम कर रही हैं, अपने सपनों को पूरा कर रही हैं और परिवार की आर्थिक ज़रूरतों को भी संभाल रही हैं। लेकिन इसके बावजूद working women के मन में एक बात अक्सर गहराई से बैठी रहती है, और वह है family guilt। उन्हें लगता है कि वे अपने घर, बच्चों या परिवार को पूरा समय नहीं दे पा रही हैं। सवाल यह नहीं कि उन्हें guilt क्यों होता है, बल्कि यह है कि यह guilt पैदा कौन करता है?

समाज की उम्मीदें अभी भी पुरानी ही क्यों हैं?

भले ही समय बदल रहा हो, लेकिन समाज की working women के प्रति उम्मीदें अभी भी वही हैं। महिलाओं से कहा जाता है कि वह strong भी बने, financially independent भी रहे, लेकिन साथ ही घर, बच्चे, भावनाएँ, परिवार – सबका पूरा ध्यान भी रखे। अगर वह किसी एक जगह भी balance न कर पाए, तो तुरंत लोग उसे judge करने लगते हैं। इस तरह का दबाव महिलाओं पर guilt की एक अदृश्य चादर बाँध देता है।

घर का हर काम महिला की responsibility क्यों माना जाता है?

जब पुरुष ऑफिस जाते हैं, तो उन्हें अपना करियर बनाने वाला माना जाता है। लेकिन जब महिला ऑफिस जाती है, तो उसका comparison उससे पहले की homemaker identity से कर लिया जाता है। घर का काम, खाना, सफाई, बच्चों की पढ़ाई – समाज के अनुसार ये सभी महिलाओं के हिस्से में आते हैं। ऐसी सोच working mothers के लिए guilt को और गहरा बना देती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे "ideal woman" बनने में कहीं कम रह रही हैं।

परिवार का support, guilt कम करता है या बढ़ाता है?

हर महिला का guilt उसके परिवार की सोच और व्यवहार पर बहुत निर्भर करता है। कुछ परिवार समझते हैं कि एक महिला जब बाहर काम करती है, तो वह सिर्फ पैसा नहीं कमाती बल्कि अपने आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और identity को भी मजबूत करती है। ऐसे परिवार उसका support करते हैं और guilt को कम करने में मदद करते हैं। लेकिन कई परिवार ऐसे भी होते हैं जो subtly या openly यह एहसास दिलाते रहते हैं कि महिला को घर की जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे माहौल में guilt अपने आप बढ़ जाता है।

Working Women खुद पर unrealistic pressure क्यों डालती हैं?

कई बार महिलाओं की guilt society नहीं बल्कि खुद उनका बनाया हुआ होता है। उन्हें लगता है कि perfect होना आवश्यक है – perfect employee, perfect mother, perfect wife और perfect daughter-in-law। यह perfectionism उन्हें mentally exhaust कर देता है। जब वह किसी भी role में थोड़ी भी कमी महसूस करती हैं, तो guilt उभर आता है। जरूरत इस बात की है कि महिलाएँ खुद से भी दया और समझ के साथ पेश आएँ।

बच्चों पर इसका क्या असर पड़ता है?

अक्सर कहा जाता है कि working mothers के बच्चे attention की कमी महसूस करते हैं, लेकिन research बिल्कुल अलग तस्वीर दिखाती है। studies बताती हैं कि working mothers के बच्चे अधिक confident, responsible और independent होते हैं। वे अपनी mother को मेहनत करते देख कर inspiration पाते हैं। बच्चों के लिए quality time ज्यादा मायने रखता है, न कि पूरे दिन की physical उपस्थिति।

Partners की equal responsibility क्यों जरूरी है?

अगर महिलाएँ काम कर रही हैं, तो घर की जिम्मेदारियाँ equally बांटना partners की responsibility है। जब पुरुष घर के काम और बच्चों की care में हाथ बँटाते हैं, तो न सिर्फ महिला पर बोझ कम होता है बल्कि guilt भी कम होता है। शादी एक partnership है और partnership में दोनों का equal contribution जरूरी है।

महिलाएँ guilt से बाहर कैसे निकल सकती हैं?

यह guilt तभी कम हो सकता है जब महिलाएँ अपनी मेहनत और योगदान को समझें। वे यह स्वीकार करें कि हर चीज़ perfect होना जरूरी नहीं। अपने लिए समय निकालें, emotional overflow को manage करें और परिवार से खुलकर बात करें।अपने सपनों और अपने करियर को महत्व देना selfishness नहीं बल्कि self-respect है।जब लोग आपको judge करें, तो याद रखें कि आपका जीवन आपकी मेहनत, आपके decisions और आपकी growth से बनता है, न कि दूसरों की expectations से।

आखिर जिम्मेदार कौन है?

working woman के guilt का जिम्मेदार सिर्फ एक व्यक्ति नहीं होता। यह जिम्मेदारी समाज, परिवार, सांस्कृतिक conditioning और कई बार खुद महिलाओं की सोच पर भी आकर ठहरती है। लेकिन बदलाव संभव है, और वह तभी होगा जब परिवार support करेगा, society नजरिया बदलेगी और महिलाएँ खुद पर trust करना सीखेंगी।

 

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