समस्या क्या है?
रिश्ते में संवाद की कमी, लगातार अनदेखी, सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव का अभाव साइलेंट डिवोर्स की बड़ी वजहें मानी जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दंपती एक ही घर में रहते हुए भी बातचीत सीमित कर लेते हैं, साथ समय बिताना बंद हो जाता है और समस्याओं पर चर्चा करने के बजाय चुप्पी को प्राथमिकता दी जाती है। समाज, परिवार और बच्चों के कारण कई लोग औपचारिक तलाक नहीं लेते, लेकिन अंदर ही अंदर रिश्ता खोखला हो जाता है।
बच्चों और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
खामोश तलाक का सबसे गहरा असर बच्चों पर पड़ता है। ऐसे माहौल में पल रहे बच्चे भावनात्मक असुरक्षा, चिड़चिड़ेपन और आत्मविश्वास की कमी का शिकार हो सकते हैं। वहीं, पति-पत्नी दोनों में अकेलापन, तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं, जो धीरे-धीरे पूरे परिवार को प्रभावित करती हैं।
समाधान क्या हो सकता है?
रिश्ता विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से बाहर निकलने का पहला और सबसे अहम कदम खुला संवाद है। एक-दूसरे की बात सुनना, आरोपों के बजाय भावनाओं को साझा करना और समय रहते मैरिटल काउंसलिंग लेना रिश्ते को बचा सकता है। साथ ही, यदि रिश्ता पूरी तरह समाप्त हो चुका हो, तो सम्मानजनक और ईमानदार निर्णय लेना भी जरूरी माना जाता है।
निष्कर्ष
साइलेंट डिवोर्स एक कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक संकट है, जिसे नजरअंदाज करना रिश्तों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चुप्पी में जीने से बेहतर है—या तो रिश्ते को सुधारने की कोशिश की जाए, या फिर सच्चाई का सामना कर सही रास्ता चुना जाए।
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