कभी एक औरत की ज़िंदगी में शादी को "मंज़िल" माना जाता था।“अब सब ठीक रहेगा”, “अब तेरा घर बस गया” यही शब्द सुनाई देते थे।पर किसी ने ये नहीं बताया कि अगर वो रिश्ता चल न सके, तो वो औरत कहां जाएगी? क्योंकि समाज ने “शादी” को तो सम्मान बना दिया,लेकिन “तलाक” को अब भी कलंक की तरह देखा जाता है पर सच ये है तलाक हार नहीं है, बल्कि खुद को दोबारा पाने का रास्ता है।
तलाक का मतलब खत्म होना नहीं, मुक्त होना है
जब एक रिश्ता टूटता है, तो सिर्फ दो लोग अलग नहीं होते सपने, उम्मीदें, और सालों की यादें भी टूटती हैं लेकिन टूटने के बाद भी ज़िंदगी रुकती नहीं।कई बार वो टूटना ही शुरुआत होता है, जहां से एक औरत फिर से खुद को पहचानना शुरू करती है तलाक का मतलब “खत्म” नहीं, बल्कि “मुक्त” होना है उन चीज़ों से जो उसे खुश नहीं रख रहीं थीं। वो दर्द, वो चुप्पी, वो डर अब खत्म।अब शुरू होती है उसकी ज़िंदगी, उसके नियमों पर।
समाज का रवैया अब भी सवालों में उलझा हुआ
जब कोई औरत तलाक लेती है, तो सबसे पहले लोग उसकी गलती ढूंढते हैं।“क्या उसने समझौता नहीं किया?”“इतना भी बुरा क्या था उस आदमी में?” “बच्चों का क्या होगा?” कभी किसी ने ये नहीं पूछा “क्या वो खुश है अब? समाज को ये समझना होगा कि एक औरत का रिश्ता खत्म करना उसकी नाकामी नहीं, उसकी हिम्मत है। वो हिम्मत जो कहती है “मैं और नहीं झेलूंगी, मैं अब अपने लिए जिऊंगी।”
तलाकशुदा औरत = मजबूत औरत
तलाक के बाद की ज़िंदगी आसान नहीं होती। वो एक सफर है जहां हर कदम पर judgement मिलती है, हर रिश्तेदार एक सलाह देता है और हर पड़ोसी एक कहानी बनाता है लेकिन उसी सफर में वो औरत खुद को समझती है, खुद पर भरोसा करना सीखती है और अपने अंदर की ताकत पहचानती है।वो औरत जो कभी “किसी की पत्नी” थी, अब “खुद की पहचान” बन जाती है। वो गिरती है, टूटती है लेकिन हर बार पहले से ज़्यादा मज़बूत होकर उठती है।
नई शुरुआत का मतलब नया जीवन
तलाक का सबसे बड़ा गिफ्ट है स्वतंत्रता। वो आज़ादी अपने फैसले खुद लेने की अपने सपनों को फिर से जीने की और अपने बच्चों को सिखाने की कि “ज़िंदगी कभी खत्म नहीं होती, बस दिशा बदलती है।कुछ महिलाएँ तलाक के बाद अपना करियर शुरू करती हैं, कुछ ट्रेवल पर निकलती हैं, तो कुछ therapy लेकर अपने मन को heal करती हैं और धीरे-धीरे, वो खुद से फिर प्यार करना सीखती हैं।
तलाक के बाद की दुनिया से डरे नहीं
समाज अक्सर कहता है, “अब कौन शादी करेगा तुमसे?” पर वो नहीं जानता उस औरत को अब किसी शादी की ज़रूरत नहीं, उसे बस शांति चाहिए। वो अब जानती है कि खुश रहना किसी और की जिम्मेदारी नहीं, उसका अपना हक़ है। तलाक के बाद की ज़िंदगी पहले जैसी नहीं होती पर कई बार वो पहले से ज़्यादा सच्ची होती है।अब वो अपने बच्चों की रोल मॉडल है, अब वो दूसरों को नहीं, खुद को खुश रखती है।अब वो “क्या कहेंगे लोग” नहीं, बल्कि “मैं क्या चाहती हूँ” सोचती है।हर तलाक की कहानी अलग होती है पर उनमें एक चीज़ समान होती है साहस।वो औरत जो समाज के डर से नहीं,अपने दिल की सुनकर कदम उठाती है वो हारती नहीं, जीतती है, वो साबित करती है कि एक टूटे रिश्ते के बाद भी ज़िंदगी खूबसूरत हो सकती है, अगर उसे अपने अंदाज़ में जिया जाए।
खुद से फिर से रिश्ता जोड़ो
शायद यही वक्त है कि हम तलाकशुदा औरतों को तरस की नज़रों से नहीं, सम्मान की नज़रों से देखें क्योंकि उन्होंने वो किया जो बहुतों में करने की हिम्मत नहीं। उन्होंने खुद से रिश्ता जोड़ा, अपने दर्द को ताकत बनाया और अपनी पहचान दोबारा गढ़ी।
तलाक अंत नहीं, एक नई कहानी की शुरुआत है
हर औरत जो तलाक के बाद खुद को दोबारा खड़ा करती है, वो किसी भी सफल शादीशुदा औरत से कम नहीं।उसकी कहानी दूसरों के लिए उम्मीद है और उसके जज़्बे के आगे हर “क्या कहेंगे लोग” की सोच छोटी पड़ जाती है तलाक शायद दर्द दे, पर वो एक सच भी सिखाता है कभी-कभी खुद को बचाना ही सबसे बड़ा प्यार होता है।