Desire पर बात करना अश्लील नहीं बल्कि ज़रूरी है, महिलाओं की भावनाओं पर खुली बातचीत का वक़्त

women sexual desire awareness

Women Sexual Desire Awareness: Desire पर बात करना अश्लील नहीं, ज़रूरी है

भारत में जब भी “desire” या “इच्छा” शब्द किसी महिला से जुड़ता है, तो लोग तुरंत “शर्म करो” या “ऐसी बातें नहीं करते” कहकर बात बदल देते हैं। लेकिन क्या किसी महिला की इच्छा पर बात करना वाकई अश्लील है या समाज ने बस उसे चुप रहना सिखा दिया है? आज भी हमारे समाज में महिलाओं की sexual desire पर बात करना taboo माना जाता है। लेकिन अब वक्त है समझने का कि Desire पर बात करना vulgar नहीं बल्कि ज़रूरी है।

क्यों महिलाओं की इच्छा को “गुनाह” माना जाता है

हमारे संस्कारों में औरतों को हमेशा “संयमी”, “शालीन” और “त्याग की मूर्ति” के रूप में दिखाया गया है। उन्हें सिखाया गया कि खुद की इच्छा, खुद की चाहत या खुद का सुख, इन सब पर बात करना “अच्छी लड़कियों” के लिए मना है पर यही सोच महिलाओं को अंदर से दबा देती है। वो अपने शरीर, अपनी भावनाओं और अपनी sexual identity से जुड़ नहीं पातीं। समाज को डर “desire” से नहीं बल्कि महिलाओं की जागरूकता से है। जब औरत अपनी इच्छा को पहचानती है, तो वो किसी की परछाई नहीं बल्कि अपनी कहानी बन जाती है।

Desire का मतलब सिर्फ शारीरिक नहीं होता

बहुत लोग सोचते हैं कि “desire” का मतलब सिर्फ sexual desire है, लेकिन हकीकत यह है कि Desire का मतलब है जीने की इच्छा, महसूस करने की आज़ादी और खुद को अपनाने का हक़।हर औरत के अंदर कुछ desires होती हैं किसी की career की, किसी की प्यार की, किसी की motherhood की, किसी की freedom की। लेकिन जब society उसे कहती है “इतनी चाहतें मत रखो”, तो वो धीरे-धीरे अपनी identity खोने लगती है।

Sexual Desire: शर्म नहीं, self-awareness है

Sexual desire किसी भी इंसान की natural feeling है। जिस तरह भूख या नींद जरूरी है, वैसे ही physical intimacy और emotional connection भी human need है। जब एक औरत अपने desire को समझती है, तो वो अपने शरीर से जुड़ना सीखती है guilt से नहीं, grace से।इसपर खुलकर बात करना अश्लीलता नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का हिस्सा है। क्योंकि silence creates shame, और जब तक हम desire पर बात नहीं करेंगे, हम अपने emotions और rights को नहीं समझ पाएंगे।

क्यों ज़रूरी है महिलाओं की इच्छाओं पर खुलकर बात करना

-क्योंकि awareness से ही safety आती है। जब महिलाएं अपने शरीर और feelings के बारे में खुलकर बात करेंगी, तो exploitation या abuse के खिलाफ भी आवाज़ उठा पाएंगी।

-क्योंकि equality सिर्फ बाहर नहीं बल्कि भीतर भी चाहिए। बराबरी की बात करने वाली society को महिलाओं की भावनाओं को भी बराबरी से सुनना चाहिए।

-क्योंकि इच्छा छिपाना guilt बढ़ाता है। Desire को दबाने से महिलाएं खुद को गलत समझने लगती हैं, जबकि वो भी इंसान हैं जिन्हें महसूस करने का और चाहने का उतना ही हक़ है जितना किसी पुरुष को।

नई सोच की ज़रूरत: Desire को Normalize करना

Desire पर बात करना कोई western influence नहीं बल्कि मानव स्वभाव की सच्चाई है। अब वक्त है कि mothers अपनी बेटियों से, schools अपने students से और partners एक-दूसरे से खुलकर इस बारे में बात करें। जब बातचीत खुलेगी, तो शर्म नहीं समझ बढ़ेगी। और वही society truly progressive कहलाएगी।

Desire और Respect एक साथ चल सकते हैं

किसी महिला की इच्छा का मतलब “characterless” नहीं होता। Desire का मतलब सिर्फ यह है कि वो अपने शरीर और भावनाओं से जुड़ी हुई है। जब एक औरत अपने desire को समझती है, तो वो खुद के प्रति ज़्यादा aware, confident और emotionally healthy बनती है। Desire को respect देना, असल में womanhood को respect देना है। अब वक्त है कि हम “Desire” शब्द से डरना बंद करें। क्योंकि desire कोई शर्म नहीं, वो हमारी सोच, समझ और संवेदना का हिस्सा है।जब औरतें अपनी इच्छा पर बात करेंगी, तो आने वाली पीढ़ियाँ guilt नहीं बल्कि confidence और consent के साथ बड़ी होंगी। Desire पर बात करना अश्लील नहीं बल्कि इंसानियत और self-awareness की निशानी है।

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