द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की हालिया स्टडी के मुताबिक, साल 2019 में हर पांच में से दो लोग यानी लगभग 40% लोग यह नहीं जानते हैं कि उन्हें डायबिटीज है। 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के हर पांच में से एक व्यक्ति को डायबिटीज है। ऐसे लोगों की संख्या 5 करोड़ से भी ज्यादा है।
अगर डायबिटीज लंबे समय तक कंट्रोल न की जाए तो इससे शरीर के कई अंग प्रभावित होने लगते हैं। इससे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, किडनी फेलियर, आई साइट कमजोर होने, नसों को नुकसान और पैरों में गंभीर समस्याए हो सकती हैं। इसके बावजूद भारत में कई लोग, खासकर बुजुर्ग, डायबिटीज को मैनेज करने में लापरवाही बरतते हैं।
डायबिटीज क्या है और इसे समझना क्यों जरूरी है?
डायबिटीज ब्लड शुगर की समस्या है। हम जो खाते हैं, शरीर उसे इस्तेमाल करने के लिए ग्लूकोज में बदलता है। इससे शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है। कोशिकाओं को ग्लूकोज इस्तेमाल करनेके लिए इंसुलिन हॉर्मोन की जरूरत पड़ती है। अगर इंसुलिन कम बने या सही काम न करे, तो ग्लूकोज ब्लड में ही रह जाता है। इससे थकान, कमजोरी और दूसरी परेशानियां महसूस हो सकती हैं।
पूरी दुनिया में डायबिटीज के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर इसे समय पर डायग्नोज न किया जाए तो हार्ट प्रॉब्लम, किडनी फेलियर या आई साइट में वीकनेस हो सकती है।
डायबिटीज के शुरुआती संकेत क्या हैं?
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। अगर ब्लड शुगर बढ़ गया है तो शरीर कुछ संकेत देता है। अगर ज्यादा भूख लग रही है तो इसका मतलब है कि कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। इसलिए थकान भी लगने लगती है।
बार-बार पेशाब जाना भी इसका बड़ा संकेत है। सामान्य व्यक्ति दिन में 4-7 बार पेशाब करता है, लेकिन डायबिटीज में किडनी ज्यादा शुगर बाहर निकालने की कोशिश करती है, तो पेशाब ज्यादा लगती है। इसमें प्यास भी ज्यादा लगती है। मुंह सूखना, स्किन ड्राई और खुजली होना, धुंधला दिखना- ये सब डायबिटीज के कॉमन लक्षण हैं। इसमें अचानक वजन भी कम हो सकता है, क्योंकि शरीर फैट और मसल्स जलाने लगता है। जब ब्लड शुगर कम होता है तो सिरदर्द भी हो सकता है।
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में लक्षणों का फर्क
टाइप-1 के लक्षण अचानक और तेजी से दिखने लगते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर बच्चों में देखने को मिलते हैं। इसके मुख्य लक्षण- ज्यादा पेशाब, प्यास, थकान और वजन कम हना हैं। टाइप-2 में लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, ये कई सालों तक नजर नहीं आते हैं। लोग सोचते हैं कि उन्हें बढ़ती उम्र की वजह से थकान हो रही है। ये टाइप-2 डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
महिलाओं और पुरुषों में फर्क
महिलाओं और पुरुषों में लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, लेकिन महिलाओं को डायबिटीज होने पर वैजाइनल इंफेक्शन या यूरिन इंफेक्शन ज्यादा हो सकता है। पुरुषों में मसल्स वीकनेस या सेक्शुअल प्रॉब्लम्स के लक्षण दिख सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज के संकेत
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कोई खास लक्षण नहीं दिखते हैं। थोड़ी ज्यादा प्यास, बार-बार पेशाब, मुंह सूखना या थकान देखने को मिल सकता है। अगर वजन ज्यादा हो या फैमिली हिस्ट्री हो तो डॉक्टर 24-28 हफ्तों में टेस्ट करते हैं।
डायबिटीज का पता लगाने के लिए टेस्ट
A1C टेस्ट ब्लड शुगर की औसत बताता है। यह प्रतिशत में आता है-
डायबिटीज की कॉम्प्लिकेशंस के वॉर्निंग साइन
अगर डायबिटीज कंट्रोल न हो, घाव जल्दी नहीं भरते, स्किन में खुजली, यीस्ट इंफेक्शन, वेट गेन, गर्दन-कांख की स्किन डार्क होना, हाथ-पैर सुन्न होना, आंखें कमजोर होना, पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे संकेत बताते हैं कि समस्या बढ़ रही है।
एक्सरसाइज से मिलती है मदद
एक्सरसाइज से कोशिकाएं स्वस्थ होती हैं और आसानी से शुगर यूज कर पाती हैं और इंसुलिन भी बेहतर काम करता है। हफ्ते में 150 मिनट मॉडरेट एक्टिविटी जैसे वॉकिंग, साइक्लिंग। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग 2-3 बार। एक्सरसाइज से पहले ब्लड शुगर चेक करें, अगर कम हो तो स्नैक्स लें। पानी ज्यादा पिएं।
दवाएं और इंसुलिन
दवाएं समय पर लें। इंसुलिन को सही जगह स्टोर करके रखें। दवाएं खाने से पहले एक्सपायरी डेट जरूर देखें। पहले से दूसरी दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर को इस बारे में भी जानकारी दें।
बीमारी के समय
बीमार होने पर स्ट्रेस हॉर्मोन्स शुगर बढ़ाते हैं। ब्लड शुगर चेक करें, कीटोन्स टेस्ट कराएं, दवाएं खाते रहें, पानी ज्यादा पिएं। अगर वॉमिटिंग हो तो डॉक्टर को कॉल करें।
पीरियड्स और मेनोपॉज
महिलाओं में पीरियड्स से पहले शुगर स्विंग्स होते हैं। इसे ट्रैक करें, प्लान एडजस्ट करें। मेनोपॉज के समय ज्यादा बार चेक करें।
डॉक्टर से कब कंसल्ट करें?
अगर उम्र 45 साल से ऊपर हैं या रिस्क फैक्टर हैं, तो टेस्ट करवाएं। अगर पेट दर्द, बहुत प्यास, सांस तेज, सांस से नेल पॉलिश जैसी गंध आए तो- तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। शुरुआत में ही डायग्नोज होने से नर्व डैमेज और हार्ट प्रॉब्लम से बच सकते हैं।