Unsafe Abortion: जानकारी की कमी कैसे बनती है महिलाओं के जीवन के लिए खतरा

Unsafe Abortion in India

Unsafe Abortion: जानकारी की कमी कैसे बनती है महिलाओं के जीवन के लिए खतरा

आज भी भारत जैसे देश में, गर्भपात (Abortion) को लेकर बात करना किसी “पाप” जैसा माना जाता है। शर्म, डर और सामाजिक दबाव की वजह से कई महिलाएं असुरक्षित तरीकों (Unsafe Abortion) का सहारा लेती हैं जहां न डॉक्टर होता है, न सही जानकारी। WHO के अनुसार, हर साल लगभग 2.5 करोड़ महिलाएं असुरक्षित गर्भपात का शिकार होती हैं, जिनमें से लगभग 13% मौतें इन्हीं कारणों से होती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि समस्या सिर्फ “गर्भ” की नहीं, बल्कि जानकारी और जागरूकता की कमी की है।

Unsafe Abortion क्या है?

Unsafe Abortion का मतलब है जब कोई महिला बिना प्रशिक्षित व्यक्ति, असुरक्षित जगह या गलत दवाओं से गर्भपात करवाती है।इसमें शामिल हैं:

  • लोकल दवाएं या जड़ी-बूटियां लेना

  • बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भपात की गोलियां लेना

  • झोलाछाप या अनधिकृत क्लीनिक में ऑपरेशन करवाना

ये तरीके महिलाओं के जीवन, प्रजनन स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए बेहद खतरनाक हैं।

क्यों महिलाएं Unsafe Abortion करवाती हैं?

1. जानकारी की कमी (Lack of Awareness)

कई महिलाएं नहीं जानतीं कि भारत में Medical Termination of Pregnancy Act (MTP Act) के तहत गर्भपात कानूनी है (कुछ परिस्थितियों में)।
ज्ञान के अभाव में वे डर जाती हैं और गलत रास्ता चुन लेती हैं।

2. सामाजिक दबाव और शर्म

अविवाहित या कम उम्र की लड़कियाँ समाज के तानों से डरती हैं। वे परिवार या डॉक्टर से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं, और किसी “सीक्रेट उपाय” की तलाश में अपनी जान जोखिम में डाल देती हैं।

3. स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच न होना

ग्रामीण इलाकों में आज भी सही मेडिकल सुविधा या महिला डॉक्टर तक पहुंच बहुत मुश्किल है। इस वजह से महिलाएं स्थानीय नर्स या दाई के भरोसे गलत तरीके अपनाती हैं।

4. आर्थिक स्थिति

अक्सर महिलाएं महंगे अस्पतालों में जाना अफोर्ड नहीं कर पातीं। इसलिए सस्ते और खतरनाक विकल्प चुनती हैं, जो आगे चलकर घातक साबित होते हैं।

Unsafe Abortion के परिणाम (Effects on Health)

Unsafe Abortion सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी नुकसान पहुंचाता है।

  1. Severe Bleeding (अत्यधिक रक्तस्राव)

  2. Infection या Pelvic Inflammatory Disease

  3. Infertility (बांझपन)

  4. Psychological Trauma (डर, शर्म और guilt)

  5. Death (मृत्यु का खतरा)

WHO के अनुसार, हर 8 मिनट में एक महिला असुरक्षित गर्भपात से मरती है और उनमें से 97% महिलाएं विकासशील देशों से होती हैं।

सुरक्षित गर्भपात (Safe Abortion) का अधिकार और प्रक्रिया

भारत में Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act, 1971 महिलाओं को ये अधिकार देता है कि अगर गर्भ से उनकी सेहत, मानसिक स्थिति या बच्चे का जीवन प्रभावित हो सकता है, तो वे कानूनी रूप से सुरक्षित गर्भपात करवा सकती हैं। 2021 में इस कानून में संशोधन कर 20 से 24 हफ्ते तक गर्भपात की सीमा बढ़ाई गई और एकल महिलाएं (single women) भी इसके तहत अधिकार रखती हैं। यानी अब ये अपराध नहीं बल्कि स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health) है।

महिलाओं को क्या जानना चाहिए

  1. गर्भपात की दवा डॉक्टर से ही लें। ऑनलाइन या मेडिकल शॉप से बिना सलाह ली गई दवा जानलेवा हो सकती है।

  2. सिर्फ पंजीकृत क्लीनिक या अस्पताल में जाएं।वहां स्टरलाइज्ड उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ होता है।

  3. गोपनीयता (Confidentiality) – डॉक्टर आपकी पहचान और स्थिति गुप्त रखते हैं, इसलिए शर्म या डर की ज़रूरत नहीं।

  4. Follow-up जरूरी है।गर्भपात के बाद शरीर की देखभाल और जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।

सामाजिक बदलाव क्यों जरूरी है?

Unsafe abortion की असली जड़ शर्म, चुप्पी और अज्ञानता है। जब तक समाज गर्भपात को "चरित्र" का सवाल समझेगा, महिलाएं सही जानकारी तक नहीं पहुँच पाएंगी। हमें चाहिए 

  • स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को शामिल करना

  • महिलाओं को हेल्थ और कानूनी अधिकारों की जानकारी देना

  • मीडिया और NGO के ज़रिए खुली चर्चा को बढ़ावा देना

Unsafe Abortion कोई “पाप” नहीं, बल्कि सिस्टम और समाज की असफलता का परिणाम है। अगर महिलाओं को समय पर जानकारी, सही सलाह और सुरक्षित चिकित्सा सुविधा मिले, तो हजारों जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं। समाज को अब चुप्पी नहीं, सहानुभूति और शिक्षा की जरूरत है क्योंकि जब महिला अपने शरीर का निर्णय खुद ले सके तभी हम सच में कह पाएंगे कि हमारा समाज प्रगतिशील है।