आजकल थायरॉइड की समस्या खासकर महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। अक्सर इसे छोटी थकान, वजन बढ़ना या mood swings समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन अगर समय पर इलाज न हो तो यह हार्मोनल बैलेंस, प्रेग्नेंसी, पीरियड्स और मानसिक स्वास्थ्य तक को प्रभावित कर सकता है। थायरॉइड कोई बीमारी नहीं बल्कि एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसे सही जानकारी और लाइफस्टाइल से कंट्रोल किया जा सकता है।
थायरॉइड एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो गर्दन के सामने मौजूद रहती है। यह शरीर के metabolism को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती है। जब यह ग्रंथि ज्यादा हार्मोन बनाने लगती है तो Hyperthyroidism और जब कम हार्मोन बनता है तो Hypothyroidism की समस्या होती है। दोनों ही स्थितियां शरीर पर अलग अलग तरह से असर डालती हैं।
थायरॉइड के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अचानक वजन बढ़ना या बहुत तेजी से वजन कम होना, हर समय थकान महसूस होना, बालों का ज्यादा झड़ना, ड्राई स्किन, ठंड या गर्मी ज्यादा लगना, दिल की धड़कन तेज होना, नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, याददाश्त कमजोर होना और पीरियड्स का अनियमित होना थायरॉइड के आम लक्षण हैं। कई महिलाओं में प्रेग्नेंसी कंसीव करने में दिक्कत भी थायरॉइड की वजह से होती है।
महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव ज्यादा होते हैं जैसे पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, डिलीवरी और मेनोपॉज। इन सभी चरणों में थायरॉइड असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा stress, नींद की कमी, गलत खानपान और genetic कारण भी जिम्मेदार होते हैं।
थायरॉइड की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट कराया जाता है जिसमें TSH, T3 और T4 लेवल चेक किए जाते हैं। अगर परिवार में किसी को थायरॉइड की समस्या रही हो या लक्षण नजर आ रहे हों तो साल में एक बार टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
थायरॉइड का इलाज संभव है और सही तरीके से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लेना सबसे जरूरी कदम है। दवा समय पर और नियमित रूप से लेना चाहिए। इसके साथ साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करना भी उतना ही जरूरी है।
थायरॉइड में संतुलित डाइट बहुत अहम भूमिका निभाती है। आयोडीन, सेलेनियम और जिंक से भरपूर भोजन लेना फायदेमंद होता है। हरी सब्जियां, फल, नट्स, दालें और साबुत अनाज को डाइट में शामिल करें। ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और अत्यधिक सोया प्रोडक्ट से बचें। रोज हल्की एक्सरसाइज, योग और प्राणायाम जैसे अनुलोम विलोम और भ्रामरी करने से भी हार्मोन बैलेंस में मदद मिलती है।
लगातार तनाव और कम नींद थायरॉइड को बिगाड़ सकती है। इसलिए खुद के लिए समय निकालना, मेडिटेशन करना और रोज कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेना जरूरी है। मानसिक शांति थायरॉइड कंट्रोल में बड़ी भूमिका निभाती है।
थायरॉइड कोई ऐसी समस्या नहीं है जिससे डरने की जरूरत हो, लेकिन इसे हल्के में लेना भी सही नहीं है। समय पर जांच, सही इलाज और हेल्दी लाइफस्टाइल से थायरॉइड को कंट्रोल किया जा सकता है। शरीर के संकेतों को समझें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सही जानकारी ही सबसे बड़ा समाधान है।
(hormonal imbalance in women)
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