“अपने लिए वक्त निकालना selfishness नहीं है, ये self-respect है।” लेकिन अफसोस, हमारी समाज में अब भी एक औरत अगर खुद के लिए वक्त निकाले, तो उसे “खुदगर्ज़”, “लापरवाह” या “घर की फिक्र नहीं करने वाली” कहा जाता है।महिलाओं को बचपन से यही सिखाया गया पहले सबका ख्याल रखो, खुद बाद में पर इस सोच ने एक पूरी पीढ़ी की महिलाओं को थका दिया है। आज वक्त है इस धारणा को बदलने का क्योंकि Self Care कोई luxury नहीं, ज़रूरत है।
Self Care का मतलब सिर्फ skincare नहीं होता
Self care का मतलब सिर्फ फेस पैक लगाना, या स्पा जाना नहीं है। ये अंदर से खुद को समझना, अपनी ज़रूरतों को मानना और खुद के साथ ईमानदार रहना है। कभी-कभी इसका मतलब होता है "ना" कहना, जब सब “हाँ” की उम्मीद करें। किसी toxic रिश्ते से बाहर आना। अपनी mental health को प्राथमिकता देना। guilt के बिना आराम करना। खुद के फैसले खुद लेना।Self care का असली मतलब है “मैं भी ज़रूरी हूँ।”
क्यों महिलाएं खुद को आखिरी में रखती हैं
घर, बच्चे, परिवार, ऑफिस — हर जगह महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वो सब कुछ संभालें और वो करती भी हैं। पर इस juggling में वो खुद को सबसे नीचे रख देती हैं।कई महिलाओं के लिए “खुद के लिए वक्त निकालना” एक luxury लगता है। जैसे वो सिर्फ तब हकदार हैं जब बाकी सबका काम हो जाए। लेकिन असलियत ये है थकी हुई औरत किसी का सहारा नहीं बन सकती। खुद को recharge करना selfishness नहीं, strength है।
Mental Health और Self Care का गहरा रिश्ता
भारत में 60% से ज़्यादा महिलाएं anxiety, stress और emotional exhaustion से जूझती हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 10% ही मदद लेने जाती हैं क्योंकि “log kya kahenge?” हमारी society अब भी mental health को stigma की तरह देखती है। पर जब हम अपनी emotional wellbeing की परवाह करते हैं, तो हम खुद को better version में बदलते हैं।Self care का मतलब therapy लेना भी हो सकता है या बस एक दिन ऐसा बिताना जिसमें कोई demand न हो। अपने दिमाग और दिल को detox करना उतना ही ज़रूरी है जितना body को।
Self Care = Boundaries Set करना
कभी सोचा है, “ना” कहना इतना मुश्किल क्यों लगता है? क्योंकि हमें guilt सिखाया गया है। हम सोचते हैं, अगर हमने खुद के लिए मना किया तो कोई नाराज़ हो जाएगा पर boundaries सेट करना selfishness नहीं ये अपनी peace और dignity की सुरक्षा है।कभी-कभी self care का मतलब बस इतना होता है आज मैं आराम करूंगी, आज मैं किसी से बात नहीं करूंगी, आज मैं अपनी किताब पढ़ूंगी और ये perfectly ठीक है।
Self Care को Normal कैसे बनाएं?
Guilt-Free ‘Me Time’:
दिन का सिर्फ 30 मिनट अपने लिए रखें। बिना guilt के।वो time सिर्फ “आपका” होना चाहिए कोई interruption नहीं।
Healthy Boundaries बनाएं:
हर रिश्ते में अपनी limits तय करें। हर बार compromise करना प्यार नहीं, exhaustion है।
अपने मन की सुनें:
कभी-कभी अपने दिल की सुनना सबसे बड़ी therapy होती है।
Help मांगना कमजोरी नहीं:
घर, काम या रिश्तों में मदद मांगना आपको कमजोर नहीं बनाता, बल्कि emotionally aware बनाता है।
Self-Acceptance को अपनाएं:
अपने flaws को स्वीकार करें। Perfect होने की कोशिश छोड़ें क्योंकि आप जैसी हैं, वैसी ही खूबसूरत हैं।
Self Care से Self-Respect तक
जब आप खुद की परवाह करती हैं, तो आप खुद को यह संदेश देती हैं “मैं अपने लिए जरूरी हूँ।” यही self-respect की शुरुआत है, आप अपने शरीर, मन और आत्मा का ख्याल रखती हैं, तो आप खुद को सम्मान दे रही होती हैं और जो खुद को सम्मान देना जानती है, वो किसी से भी अपमान सहना बंद कर देती है।Self care आपको दूसरों से बेहतर नहीं बनाता बल्कि अपने पुराने version से बेहतर बनाता है।
खुद का ख्याल रखना selfishness नहीं, बल्कि दुनिया को दिखाने का तरीका है किआप खुद को कितना महत्व देती हैं।क्योंकि अगर आप खुद खुश नहीं हैं, तो किसी और को खुश रखना असंभव है।तो अगली बार जब कोई कहे “तुम खुद पर ज़्यादा ध्यान देती हो” मुस्कुराइए और कहिए “हाँ, क्योंकि अब मुझे खुद की कीमत पता चल गई है।”