‘कैंसर’ शब्द सुनते ही मन में डर पैदा हो जाता है। हालांकि, राहत की बात यह है कि आज के समय में थेरेपी और सर्जरी की मदद से इसका इलाज संभव है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है कि कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में लग जाए।
महिलाओं में सबसे आम कैंसरों में से एक है ब्रेस्ट कैंसर। हर साल हजारों महिलाएं इसकी चपेट में आती हैं। अगर इसकी पहचान समय रहते हो जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है। लेकिन अगर पहचान में देरी हो जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे नियमित रूप से सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें और शरीर में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज न करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत हमेशा गांठ बनने से नहीं होती। कई बार स्किन पर दिखने वाले बदलाव भी इस बीमारी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
ब्रेस्ट या उसके आसपास रेडनेस या रैशेज होना, जो बार-बार हों और ठीक न हों।
ब्रेस्ट की स्किन पर ऑरेंज पपड़ी जमना, स्किन में गड्ढे पड़ना या उसका टेक्सचर बदलना।
ब्रेस्ट के किसी एक हिस्से की स्किन मोटी होना या सूजन महसूस होना।
निप्पल के आसपास खुजली या पैचेस बनना।
ये सभी लक्षण इस बात का संकेत हो सकते हैं कि कैंसर सेल्स बढ़ना शुरू हो चुके हैं और शरीर में इंफ्लेमेशन या ब्लड वेसल्स ब्लॉक हो रही हैं।
अगर आपको ब्रेस्ट या उसके आसपास इन लक्षणों में से कोई भी नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
हर बार ये संकेत कैंसर की ओर इशारा नहीं करते, लेकिन सावधानी और समय पर जांच आपके जीवन को सुरक्षित बना सकती है।
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